फागुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से प्रारंभ होकर फागुन शुक्ल द्वादशी तक चलने वाले श्री खाटू श्याम उत्सव, निशान यात्रा एवं खाटू नगरी मेले के मिश्रित सयोजन को फाल्गुन मेला, फागुन मेला तथा फाग मेला कहा जाता है। वैसे तो इस महोत्सव की धूम संपूर्ण भारत में बाबा श्री खाटू श्याम जी के प्रेमियों के बीच देखने को मिलती है, परंतु इस मेले का मुख्य केंद्र राजस्थान के सीकर में स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर ही है।
खाटू श्याम जी का फाल्गुन मेला वैसे तो 7 दिन तक चलने वाला महोत्सव है, परंतु इसका प्रारंभ फागुन शुक्ल षष्ठी से भी पहले बाबा श्याम की शोभा यात्रा एवं निशान यात्रा के रूप में हो जाता है। फाल्गुन मेला का सबसे अधिक उत्साह और दीवानगी एकादशी (आमलकी एकादशी) के दिन देखने को मिलती है, इस दिन श्याम प्रेमी महोत्सव में सराबोर ही हो जाते हैं।
खाटू श्याम जी फाल्गुन मेला 2025 तिथियाँ: Falgun Mela 2025 Dates
प्रतिपदा: शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025
द्वितीया: शनिवार, 1 मार्च 2025
तृतीया: रविवार, 2 मार्च 2025
चतुर्थी: सोमवार, 3 मार्च 2025
पंचमी: मंगलवार, 4 मार्च 2025
षष्ठी: बुधवार, 5 मार्च 2025
सप्तमी: गुरूवार, 6 मार्च 2025
अष्टमी: शुक्रवार, 7 मार्च 2025
नवमी: शनिवार, 8 मार्च 2025
दशमी: रविवार, 9 मार्च 2025
एकादशी: सोमवार, 10 मार्च 2025
द्वादशी: मंगलवार, 11 मार्च 2025
श्याम बाबा की पूजा का महत्व
फागुन मेला का सबसे बड़ा आकर्षण श्याम बाबा की पूजा होती है। यह समय भक्तों के लिए भगवान के आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि पाने का होता है। मेले के दौरान भक्त कीर्तन, भजन और पारायण करते हैं, जिससे वे अपने आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
समाजिक एकता और भाईचारे का प्रसार
फागुन मेला समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। यह समय होता है जब लोग जात-पात और भेदभाव से ऊपर उठकर एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। इस मेले में हर किसी को एक समान आदर और सम्मान मिलता है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से हो। फागुन मेला एकता, प्यार और सहयोग का प्रतीक बनकर समाज को जोड़ने का कार्य करता है।
रंग और उल्लास का अवसर
फागुन मेला का एक विशेष आकर्षण रंगों का होता है। इस दौरान लोग रंगों से खेलते हैं, गाते-बजाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं। रंगों से भरा यह मेला एक नई ऊर्जा और उल्लास का संचार करता है, लोग अपने पुराने दुखों और कष्टों को रंगों के साथ धोने का विश्वास करते हैं और नए जीवन की शुरुआत करते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति
फागुन मेला न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति का भी समय होता है। भक्त इस अवसर पर श्याम बाबा की आराधना करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं। इस मेले में शामिल होकर लोग शांति, समृद्धि और आस्था की प्राप्ति करते हैं। बाबा के भजनों और कीर्तन से वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जो हर भक्त को मानसिक शांति प्रदान करता है।
नई शुरुआत का संकेत
फागुन मेला एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है। यह समय होता है जब लोग अपने पुराने कष्टों, दुखों और नकारात्मकता को पीछे छोड़कर, नए संकल्प और सकारात्मक सोच के साथ जीवन की ओर बढ़ते हैं। इस समय भक्त श्याम बाबा के आशीर्वाद से अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का संकल्प लेते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा में आगे बढ़ाते हैं।